नजफगढ़ के गाँव बापड़ौला से प्रत्येक दिन चार किलो दूध लेकर साइकिल से तीस किलोमीटर से भी दूर छत्रसाल स्टेडियम पर पहलवानी कर रहे अपने पुत्र सुशील कुमार को इस उम्मीद के साथ दीवानसिंह पहुँचाते थे कि उनका यह चिराग
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